Wednesday, December 9, 2015

मुझे बता देना

मेरे होने होने का 
जिस दिन फर्क पड़ जाए 
मुझे बता देना 

जिस दिन मेरी हँसी  में  
छुपा दर्द दिख जाए 
मुझे बता देना 
 
रहूंगी मैं नाचती 
खिलखिलाती मुस्कुराती 
ऐसे जैसे कोई लहर 
सागर से मिलके गुनगुनाती 
 
जिस दिन मेरे अधूरेपन की 
भनक लग जाए 
मुझे बता देना 
 
मेरी उल्हास भरी बातों  में
मेरे सहमे हुए दिल की 
जो कसक मिल जाए 
मुझे बता देना

खुशबू बाँटती पर 
मुरझाई सी मैं हूँ 
मेरी खोई हुई सी गर महक मिल जाए 
मुझे बता देना 
 
मेरी अहमियत तब होगी 
रहूंगी जब आसपास 

मेरे जाने पे जिस पल 
आँखे छलक जाएँ 
मुझे बता देना 

2 comments:

  1. Beautiful...
    and a pain.... i can identify with ...

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  2. "मेरे जाने पे जिस पल
    आँखे छलक जाएँ
    मुझे बता देना"

    आंसू अक्सर अहमियत बता देते हैं. बहुत ख़ूबसूरत नज़्म.

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