Wednesday, May 19, 2010

तू ही मेरे रब की तरह है

तेरे नूर से ही रोशन ये समां है
तू है तो मेरी रूह यहाँ है
ले चल ऊधर जो तेरा जहान है
मेरी आखिरी मंजिल,
मेरा अंत वहाँ है

कोशिश करने का वादा है
 बस दिखला दे की रास्ता कहाँ है
क्षितिज को छूने की भरपूर चाह है
ले चल की अब इंतज़ार की इन्तहा है

मंजिल तेरी बाहों में है
तेरे ही आगोश में है
लक्ष्य को पाने की डगर अनजान है
पुकार ले की अब वक़्त कम है
क्या वो वजह है की दूरी दरमियाँ है

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